August 11, 2019

गुरू

ईश्वराचे रूपे अनेक,एका म्हणे गुरू त्यांशी।
ज्ञानाचीया गाठ बांधी तो या तयाशी।।
ऐसें काय गावे गुरुचे गुणगान।
तोचि सांगे तयाचे ज्ञान।।
तोचि दाखवी ज्ञानाचे शिखर।
तोचि ऐसा एक ज्ञानाचा सागर।।१।।

ऐसा तो गुरू, त्यांशी रूपे अनेक।
तोचि जाणता तोचि तयाचा अंक।।
असेही गाथा गुरुची।
गावी जन्मोजन्मीची।।
होवे ऐसा शिष्य जेशी।।
धूळ गुरूच्या चरणाची।।२।।



                                                          -TheExWriter✍🏻

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