वो दिन भी रात के जैसे था ।
हाथ मे दिया लेके खड़ा था ।।
मै पूंछ रहा था उसे ।
क्या ढूंड रहे ओ उजाले में ।।
वो बस मुस्कुराते हुवे ढूंड रहा था ।
वो दिन भी रात के जैसा था ।
हाथ में दिया लेके खडा था ।।१।।
गिर रहा था, खुद को संभाल रहा था ।
दिन के उजाले में रात को ढूंड़ रहा था ।।
रो रहा था, खुद को कोस रहा था ।
मैं पूछ रहा था उसे, क्यु रो रहे हो ।।
वो बस रोते रोते चला गया ।
वो दिन भी रात के जैसा था ।।
हाथ में दिया लेके खडा था ।।२।।
गली गली में आज वो खुद गया था ।
हर किसी से वो बात कर रहा था ।।
कभी रोता था तो कभी मुस्कुराता था ।
वो खुद की परछाई से खुश था ।।
मैंने पूछा कभी मीले हो उसे ।
वो तो बस नजरे चुरता था ।।
वो दिन भी रात के जैसा था ।
हाथ में दिया लेके खडा था ।।३।।
-TheExWriter✍🏻
हाथ मे दिया लेके खड़ा था ।।
मै पूंछ रहा था उसे ।
क्या ढूंड रहे ओ उजाले में ।।
वो बस मुस्कुराते हुवे ढूंड रहा था ।
वो दिन भी रात के जैसा था ।
हाथ में दिया लेके खडा था ।।१।।
गिर रहा था, खुद को संभाल रहा था ।
दिन के उजाले में रात को ढूंड़ रहा था ।।
रो रहा था, खुद को कोस रहा था ।
मैं पूछ रहा था उसे, क्यु रो रहे हो ।।
वो बस रोते रोते चला गया ।
वो दिन भी रात के जैसा था ।।
हाथ में दिया लेके खडा था ।।२।।
गली गली में आज वो खुद गया था ।
हर किसी से वो बात कर रहा था ।।
कभी रोता था तो कभी मुस्कुराता था ।
वो खुद की परछाई से खुश था ।।
मैंने पूछा कभी मीले हो उसे ।
वो तो बस नजरे चुरता था ।।
वो दिन भी रात के जैसा था ।
हाथ में दिया लेके खडा था ।।३।।
-TheExWriter✍🏻
Nice one Yaar
ReplyDeleteलय लय भारी
ReplyDeleteलय भारी
ReplyDelete1 नंबर
ReplyDelete👍nice👌
ReplyDelete👌👌
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